शास्त्रों के अनुसार पैर के अंगूठे के द्वारा भी शक्ति का संचार होता है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में विद्युत संप्रेक्षणीय शक्ति होती है। यही कारण है कि अपने वृद्धजनों के नम्रतापूर्वक चरणस्पर्श करने से जो आशीर्वाद मिलता है, उससे व्यक्ति की उन्नति के रास्ते खुलते जाते हैं। चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है।
आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान प्रथम दक्षिण पैर के अंगूठे से पूजा आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं।
कोई पैर छुए तो आपको क्या करना चाहिए–किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए? पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि बड़ों के पैर छूना चाहिए, लेकिन जब कोई हमारे पैर छुए तो हमें क्या-क्या करना चाहिए, यहां जानिए…इस परंपरा का पालन आज भी काफी लोग करते हैं। चरण स्पर्श करने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जब भी कोई व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, हमारे पैर छुए तो उन्हें आशीर्वाद तो देना ही चाहिए, साथ ही भगवान या अपने इष्टदेव को भी याद करना चाहिए। आमतौर पर हम यही प्रयास करते है कि हमारा पैर किसी को न लगे, क्योंकि ये अशुभ कर्म माना गया है।
जब कोई हमारे पैर छूता है तो हमें इससे भी दोष लगता है। इस दोष से बचने के लिए मन ही मन भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए। शास्त्रों में लिखा है कि-अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम और चरण स्पर्श करता है। उसकी उम्र, विद्या, यश और शक्ति बढ़ती जाती है।जब कोई आपके पैर छुए तो ध्यान रखें ये बातेंजब भी कोई हमारे पैर छूता है तो उस समय भगवान का नाम लेने से पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक फल मिलते हैं। आशीर्वाद देने से पैर छूने वाले व्यक्ति की समस्या8एं खत्म होती हैं, उम्र बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियों से उसकी रक्षा होती है। हमारे द्वारा किए गए शुभ कर्मों का अच्छा असर पैर छुने वाले व्यक्ति पर भी होता है।
जब हम भगवान को याद करते हुए किसी को सच्चे मन से आशीर्वाद देते हैं तो उसे लाभ अवश्य मिलता है। किसी के लिए अच्छा सोचने पर हमारा पुण्य भी बढ़ता है। किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए?पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा नहीं है, यह एक वैज्ञानिक क्रिया है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ी है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता, बल्कि बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शारीरिक कसरत होती है।
आमतौर पर तीन तरीकों से पैर छुए जाते हैं। पहला तरीका- झुककर पैर छूना।दूसरा तरीका- घुटने के बल बैठकर पैर छूना।तीसरा तरीका- साष्टांग प्रणाम करना।झुककर पैर छूना- झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।घुटने के बल बैठकर पैर छूना- इस विधि से पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है। साष्टांग प्रणाम- इस विधि में शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा, झुकने से सिर का रक्त प्रवाह व्यवस्थित होता है जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभदायक है। पैर छूने के तीसरे तरीके का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार खत्म होता है। किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना।
जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार खत्म हो जाता है।पैर छूने के पीछे का वैज्ञानिक रहस्यचरण स्पर्श का महत्व, पैर छूने के फायदेपैर छूने से ऊर्जा का संचार होता हैभारतीय सभ्यता और संस्कृति बहुत प्राचीन हैं | ऋषि मुनियों द्वारा स्थापित इस संस्कृति का आधार गूढ़ वैज्ञानिक रहस्य है | इन ऋषियों ने काफी शोध के बाद हमारी सभ्यता और संस्कृति के लिए कुछ नियम बनाएं हैं और उन्हें शास्त्रों में संजों के रखा है | ऐसा ही एक नियम है भारतीय सभ्यता में “पैर छूना ” जो सिर्फ एक अभिवादन और आदर करने का तरीका नहीं है बल्कि उसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी काम करता है |
हम सिर्फ पैर ही क्योंछूते हैं ? शरीर का कोई और हिस्सा जैसे पेट, पीठ और टांग छू कर आशीर्वाद क्यों नहीं लेते ? क्यूंकि इसके पीछे भी एक तार्किक वैज्ञानिक कारण है |पैर छूने की सही प्रक्रिया में हम अपनी कमर झुकाते हैं और अपनी बाईं हाथ की फिंगर टिप से अपने से बड़े के दाएं पैर को और दाएं हाथ की फिंगर टिप से उनके बाएं पैर को छूते हाँ और फिर हमारे बड़े हमारे सर पर हाथ रख कर हमें आशीर्वाद देते हैं |इसके पीछे वैज्ञानिक व्याख्या इस प्रकार है कि हमारा शरीर जो बहुत सी तंत्रिकाओं से मिलके बना है |
जो तंत्रिका हमारे मस्तिष्क से शुरू होती है वो हमारे हाथों और पैरों के टिप पे आके खत्म होती है तो पैर छूने की प्रक्रिया में में जब हम अपने फिंगर टिप से उलटे तरफ के पैर छूते हैं यानि बाईं हाथ से दायां पैर और दाएं हाथ से बायां पैर तो इस तरह शरीर का सर्किट पूरा हो जाता है यानि विद्युत चुम्बकीये उर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी उर्जा हमारे अन्दर प्रवाहित होने लगती है यानि दो शरीरों की ऊर्जा आपिस में जुड़ जाती हैं और पैर छूने वाला संग्राहक यानि ऊर्जा लेने वाला और पैर छुआने वाला ऊर्जा का दाता बन जाता है |साथ ही इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि ,दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं।
सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। यानी गुरुत्व या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है। शरीर के दक्षिणी ध्रुव यानी पैरों में यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है और वहां ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा छूने से इस ऊर्जा का प्रवाह होता है |इसलिए हमें केवल उन्हीं के चरण स्पर्श करना चाहिए, जिनके आचरण ठीक हों। क्योंकि ‘चरण’ और ‘आचरण’ के बीच भी सीधा संबंध है। पैर छूने का आधार उम्र या रिश्ता नहीं होना चाहिए बल्कि करम होने चाहिए हमें उन्ही के पैर छूने चाहिए जिनकी तरह हम बनना चाहते हैं | ऐसा व्यक्ति जो अहंकारी हो ,निर्बल हो जिसके अंदर अपने से छोटों के लिए प्यार न हो ,जो ईर्ष्या, नकरात्मक प्रतियोगिता और भेदभाव कि भावना से ग्रषित हो ,दुष्कर्मी, अपराधी हों ऐसे लोगों के पैर छूने का कोई औचित्य नहीं है | उनके पैर छू कर हम अपना ही नुक्सान करते हैं | FROM FACEBOOK BHAKTI POST