मां दुर्गा का एक नाम शांभवी भी है। वह जो अचेतन को भी चेतन कर सकती है। इन्हीं के नाम पर बना है शांभवी मुद्रा योग। यह योग मुद्रा मन को एकाग्रचित करने के साथ ही आंखों में मौजूद विकार भी दूर करता है।
इस मुद्रा को स्वयं शिवजी भी करते थे, इस मुद्रा के अनेक लाभ है. जिसके बारे में हम आपको नीचे विस्तार से जानकारी देने की कोशिश करेंगे. इस मुद्रा को करने के किए फायदे है. शांभवी मुद्रा को करने के किया नुकसान है. इसकी विधि किया है. सभी सवालों की जानकारी आपको विस्तार पूर्वक देने की कोशिश करेंगे।
योगा जगत में शांभवी मुद्रा आसन की खास जगह है। असल में शांभवी मुद्रा आसन मेडिटेशन के दौरान किया जाता है जो कि मन और मस्तिष्क को शांत करने में कारगर भूमिका निभाता है। इस मुद्रा की खास बात यह है कि इसके तहत आपकी आंखें खुली रहती हैं, लेकिन फिर भी आप कुछ देख नहीं पाती। वास्तव में योगाचार्यों के मुताबिक यह मुद्रा एक कठिन साधना की तरह होता है। हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एक योग है, जिससे हम अपने आप को सांसारिक मोह माया से ऊपर उठाने में काफी मदद करता है. यह अनेक गुणों से भरपूर है. इस मुद्रा को करने के अनेक फायदे हैं।
मुद्रा विधि
1. सबसे पहले आप एक ऐसी जगह का चयन करे. जहां आप आराम से बिना किसी शोर के बैठ सकते हो, जहां आपको पूरी शांति का आभास हो, जहां आप प्राकृतिक के हवा का आनंद ले सके. और आपके पास इस मुद्रा का अभ्यास करने का पूरा समय हो, सही समय और सही स्थान का इस मुद्रा में बहुत बड़ा स्थान है।
2. उसको बाद आप पदमासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन या सुखासन में बैठ जाए, जिस आसान में आपको आसानी हो, जिसमे आप अपने आप को अच्छा महसूस करवा सके. इस आसन कि विधि में बैठ जाएl
3. जैसा कि आप ऊपर दी गई फोंटो में देख सकते है. आप उस क्रिया में बैठ कर अपने हाथों की उंगलियों को ज्ञान अथवा चिन्ह की मुद्रा में स्थिर कर पैरों के घुटनों पर रख दें l
4. इस स्तिथि में आपको टेढ़ा होकर नहीं बैठना है. आप शांभवी मुद्रा क्रिया को करने के अपने रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से सीधा रखे. टेढ़ा रखने पर आप इस आसन को नहीं कर पाएंगे l
5. उसके बाद जब आप इस आसन में एकदम सीधी तरीके से बैठ जाएं. तब आप एक लंबी और गहरी सांस लें, कुछ देर तक स्वांस को अंदर रोककर रखें तथा फिर इसे मुंह से छोड़ दें. एक बार अपनी अवस्था देख लें कि आप पूर्ण रूप से शांभवी महामुद्रा शांभवी मुद्रा को करने के लिए तैयार हैं. आपको एक बात का ध्यान रखना है, कि सांस नाक से लेना है और छोड़ना मुंह से है l
6. कुछ देर ऐशा करने के बाद आप अपनी आंखो को अधिखुल ( अर्धखुली ) अवस्था में करें, उसके बाद अपनी दोनो भाओं को देखने का प्रयत्न करें. यह उतना आसान नहीं है. जितना आपको फोटो में देख कर लगता होगा।
7. अगर आप ऐशा ना कर पा रहे है या आपको चक्कर या आंखों में दर्द सा लग रहा हो, तो आप ऐशा करने से पहले किसी योगा गुरु की अवश्य सहायता के सकते हैं. आपको अपनी आंखों पर अधिक दबाव डालने की जरूरत नहीं है. आप कोशिश अवश्य कर सकते है. अगर आप ऐशा नहीं कर पा रहे है, तो इसे जबरदस्ती करने की कोशिश ना करें, इससे आपकी आंखों पर बुरा प्रभाव पर सकता है।
- ध्यान के आसन में बैठें और अपनी पीठ सीधी रखें।
- आपके कंधे और हाथ बिलकुल ढीली अवस्था में होने चाहिए।
- इसके बाद हाथों को घुटनों पर चिंमुद्रा, ज्ञान मुद्रा या फिर योग मुद्रा में रखें। आप सामने की ओर किसी एक बिंदु पर दृष्टि एकाग्र करें।
- इसके बाद ऊपर देखने का प्रयास करें। ध्यान रखिए आपका सिर स्थिर रहे। इस बीच आप अपने विचारों को भी नियंत्रित करने की केशिश करें। सिर्फ और सिर्फ ध्यान रखें। इस बीच कुछ न सोचें।
- शांभवी मुद्र के दौरान आपकी आपकी पलकें झपनी नहीं चाहिए।
- इस आसन को शुरुआती दिनों में कुछ ही सेकेंड तक करें। यानी जैसे-जैसे आपकी ध्यान लगाने की और अपने विचारों पर नियंत्रण करने की क्षमता में विकास हो, वैसे वैसे इस आसन को करने के समय सीमा भी बढ़ाती रहें। इसे आप अधिकतम 3 से 6 मिनट कर सकते हैं।
अगर आप इसका अभ्यास करते रहते है, तो आप इसमें निपुण भी बन सकते है. शुरुआत में इसका अभ्यास कम से कम करे. आप एक बार में 2 से 3 बार इसका अभ्यास कर सकते है. ऊपर दिए गए विधि के अनुसार
मानसिक लाभ
इस मुद्रा नियंत्रण अभ्यास करने से आपका मस्तिष्क काफी शांत हो जाता है. जिससे आप कठिन से कठिन परिस्थिति का हल आसानी से निकाल सकते है l
इसके नियंत्रित अभ्यास से हम मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी सुदृढ़ हो जाती है. जिससे हमे सही और गलत का निर्णय लेने में काफी आसानी होती है. हमारे सही निर्णय से हमे अंदर से एक अलग खुशी का अनुभव होता है. मस्तिष्क से जुड़ी समय जैसे – अनिद्रा, किसी भी प्रकार का तनाव तथा याददाश्त से जुड़ी कई प्रकार की समस्या से छुटकारा दिलाता है. अगर आपको यादाश्त की समस्या है, तो आपको इस मुद्रा का अभ्यास जरूर करना चाहिए l
आध्यात्मिक लाभ
अगर आप शांभवी मुद्रा का अभ्यास करते है, तो यह हमारे Third Eye यानि आज्ञा चक्र को कम समय में खोलने का सबसे असरदार तरीका है. आप इस मुद्रा का कुछ दिनों तक अभ्यास कर अपनी आज्ञा चक्र को सक्रिय कर सकते हैं.
आज्ञा चक्र का अभ्यास कर मनुष्य की सारी गुप्त सक्तियां को सक्रिय हो जाती है. आज्ञा चक्र से सारी शक्तियों जागृत होकर आपके आध्यात्मिक क्रियाओं को मजबूत बनाती है. जिससे आप हर क्षेत्र में निपुण हो जाते है. आप जैसा संसार में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं रहता है.
अगर आप इस मुद्रा को करते है, तो यह आपके अंदर मौजूद सारे मानसिक शक्तियों को काफी सक्रिय कर देता है. शांभवी मुद्रा को करने के बाद आप अपने आप को भगवान के बहुत करीब पाते है l
नुकसान
इस मुद्रा को करने के कुछ नुकसान भी होते है. जिसके बारे में जान लेना बेहद जरूरी है. एवं इस मुद्रा को करते समय कुछ सावधानी बरतनी चाहिए. जिससे इस मुद्रा को करने से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके l
इस मुद्रा को करने से इसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क के ऊपर पड़ता है. जिससे हमारी आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाती है. कभी कभी इस मुद्रा को करने से हमारे शरीर में तेज़ दर्द होने लगता है. एवं आंखो में दर्द की समस्या भी होने लगती है. इसलिए इस मुद्रा का अभ्यास ध्यानपूर्वक और धीरे धीरे करना चाहिए. जिससे इस मुद्रा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके l
आप योगा और मुद्रा किसी भी समय कर सकते है. लेकिन एक बात जो आपको ध्यान रखनी चाहिए कि योगा या मुद्रा करने से पहले आप किसी भी चीज का सेवन ना करे. आपको यह सलाह भी दी जाती है कि आप सोने से कुछ समय पहले यह मुद्रा अवश्य करें. इससे आपको काफी अधिक लाभ मिलता है l