बोन चाइना क्रॉकरी, इस तरह की खास क्रॉकरी जो सफेद, पतली और अच्छी कलाकारी से बनी हो है, बोन चाइना कहलाती है। ये क्रॉकरी आज लगभग हर घर में आसानी से देखी जा सकती है। ये वो क्रॉकरी है जिसे लोग अपना स्टेटस सिंबल समझते हैं। कोई खास मेहमान  घर आए तो इन्हीं बर्तनों में उन्हें खाना, चाय और नाश्ता दिया जाता है। इस पर लिखे शब्द बोन का वास्तव में सम्बंध बोन (हड्डी) से ही है। बोन चाइना एक खास तरीके का पॉर्सिलेन है जिसे ब्रिटेन में विकसित किया गया है। इसके प्रयोग से सफेदी और पारदर्शिता मिलती है।

ये खबर उनके लिए ज्यादा दुखदाई है जो लोग शाकाहारी (Vegitarian) है मतलब जिन्हे मॉस मछली नाम सुनकर उलटी आ जाती है | आपके पास डिनर सेट  तो होंगे ही , किसी को गिफ्ट मिले होते है तो कोई शौक में खरीद लेता है परन्तु क्या कभी आपने ये प्रोडक्ट खरीदते समय ध्यान दिया है कि कही ये हड्डियों से तो नहीं बने है ? हा जी आपने बिलकुल सही सुना हड्डियों के बर्तन अब जरा आप गौर करिये कभी आपने बोन चाइना का नाम सुना है ? अगर हा तो अपने ये भी सुना होगा ये बड़े अच्छे और महगे बर्तन होते है देखने में बड़े ही सुन्दर होते है साथ ही साथ बड़े ही मजबूत और हलके होते है परन्तु क्या अपने इसके नाम की ओर ध्यान दिया है |

बोन चाइना इसलिए महंगा होती है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है। इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है। बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है। जानवरों की हड्डी से चिपका हुआ मांस और चिपचिपापन अलग कर दिया जाता है। इस चरण में प्राप्त चिपचिपे गोंद को अन्य इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है। शेष बची हुई हड्डी को १००० सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है। इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है। इन तरह बोन चाइना अस्तित्व में आता है। ५० प्रतिशत हड्डियों की राख २६ प्रतिशत चीनी मिट्टी और बाकी चाइना स्टोन। खास बात यह है कि बोन चाइना जितना ज्यादा महंगा होगा, उसमें हड्डियों की राख की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।

बोन चाइना की शुरुआत

इंग्लॅण्ड में बहुत लोग पसंद करते थे चीनी मिटटी से बने सामने को | इसलिए इंग्लॅण्ड की जो बड़ी बड़ी कम्पनिया थी वो चीन से चीनी मिटटी लाते थे | परन्तु इन्हे चीनी मिटटी बड़ी ही महंगी पड़ती थी | तो क्यों नहीं अपना कुछ बनाया जाये जो देखने में चीनी मिटटी जैसा ही लगे और उन्हें महगा भी न पड़े |एक आदमी था टॉमस फ्राई उसने १७४८ में  सबसे पहले हड्डियों का इस्तमाल करके प्लेट ओर कटोरी बनाने में इस्तमाल किया | उसकी प्लेटे बहुत ही अच्छी निकली और देखने में भी चीनी मिटटी से अच्छी थी तो सरे बड़ी कंपनियों ने भी हड्डियों का इस्तमाल करना शुरू किया | तो उन्होंने क्या किया कत्लखानो से जानवरो की हड्डिया लाते थे फिर जलाकर उनकी राख बनाते थे और प्लेटे बनाते थे | अब जो काम इंग्लॅण्ड को करना था वो हिंदुस्तान को तो करना ही था तो भारत ने भी हड्डियों से बोन चाइना बनाना |

कैसे बनती है ये?

सबसे पहले कत्लखानो से हड्डिया लाइ जाती है फिर उसके ऊपर के मास को उतरा जाता है उसके बाद उनसे गोंद निकला जाता है जो गोंद के लिए इस्तमाल किया जाता है उसके बाद १००० डिग्री सेंटीग्रेट में उन्हें सुखाया जाता है फिर उसको पीस कर अन्य पदार्थ उसमे मिला लेते है उसके बाद उसमे पानी मिला लेते है और क्रॉकरी बनाकर उसे भट्टी में पकाते है | तब जाकर वो आपकी टेबल पर पहुंच जाता है |

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या शाकाहारी लोगों को बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिए? या फिर सिर्फ शाकाहारी ही क्यों, क्या किसी को भी बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिए। देखिए बात एक दम साफ है, अगर आप जानवरों के पक्ष में हैं, चाहे मांसाहारी हो या शाकाहारी तो आपको बोन चाइना का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 

क्योंकि जानवरों को सिर्फ उनकी हड्डियों के लिए नहीं मारा जाता है। हड्डियां तो उनको मारने के बाद प्राप्त हुआ एक उप-उत्पाद है, लेकिन भारत के मामले में ये कुछ अलग है। भारत में मांस खाना पाप है, लेकिन फैक्ट्रियों में उन्हें उन्की चमड़ी और हड्डियों के लिए मार दिया जाता है और इस पर ना तो कोई गौरक्षक आगे आते है और ना ही कोई धर्म कानून का हवाला देता है। 

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चमड़ी मंडी है और यहां ज्यादातर गाय के चमड़े का ही प्रयोग किया जाता है। हम जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए भी मारते है। देखा जाए तो वर्क बनाने का पूरा उद्योग ही गाय को सिर्फ उसकी आंत के लिए मौत के घाट उतार देता है। आप जनवरों को नहीं मारते, लेकिन आप या आपका परिवार बोन चाइना खरीदने के साथ ही उन हत्याओं का साझीदार हो जाता है, क्योंकि बिना मांग के उत्पादन अपने आप ही खत्म हो जायेगा।

कैसे पता करे की बर्तन या डिनर सेट बोन चाइना  का है ?

अब बहुत ही काम क्रॉकरी पर बोन चाइना नहीं लिखा होता क्यूंकि सोचा जाता है शाकाहारी लोग तो इसमें खायेगे नहीं | इसलिए किसी भी विशेष उपकरण या संसाधनों की आवश्यकता के बिना, इसकी प्रामाणिकता को जल्दी से सत्यापित करने का एक वैकल्पिक तरीका जानना हमेशा अच्छा होता है। यदि आप हड्डी के किसी भी टुकड़े को एक प्रकाश तक पकड़ते हैं और उसके पीछे अपना हाथ रखते हैं, तो आपको अपनी उंगलियों को इसके माध्यम से देखने में सक्षम होना चाहिए। आप आसानी से अपनी उगलिया देख सकते है । 

By admin

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *